Khatu Shyam Ji Blog

स्वागत है आपके अपने खाटू श्याम जी ब्लॉग में 🙏
यहाँ पढ़िए श्याम भक्ति की कहानियाँ, दर्शन अपडेट्स, और खाटू धाम से जुड़ी हर जानकारी।
जय श्री श्याम 💛

🕉️ खाटू श्याम जी कौन हैं?

राजस्थान के शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित है परमधाम खाटू। यहां विराजित हैं खाटू श्यामजी। खाटू का श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है। यहां पर प्रतिवर्ष फाल्गुन माह शुक्ल षष्ठी से बारस तक यह मेला लगता है। श्याम बाबा की महिमा का बखान करने वाले भक्त राजस्थान या भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने में मौजूद हैं। आओ जानते हैं कि कौन है बाबा खाटू श्यामजी? क्या है उनकी कहानी।

कौन है खाटूश्यामजी : खाटू श्यामजी भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार हैं। महाभारत के भीम के पुत्र घटोत्कच और घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक थे। बर्बरीक को ही बाबा खाटू श्याम कहते हैं। इनकी माता का नाम हिडिम्बा है।

खाटू श्याम की कहानी : बर्बरीक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे। युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा। बर्बरीक की इस घोषणा से कृष्ण चिंतित हो गए।

भीम के पौत्र बर्बरीक के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्रीकृष्ण उसकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए उपस्थित हुए तब बर्बरीक ने अपनी वीरता का छोटा-सा नमूना मात्र ही दिखाया। कृष्ण ने कहा कि यह जो वृक्ष है ‍इसके सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद दो तो मैं मान जाऊंगा। बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृक्ष की ओर छोड़ दिया।

जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को छेदता जा रहा था उसी दौरान एक पत्ता टूटकर नीचे गिर पड़ा। कृष्ण ने उस पत्ते पर यह सोचकर पैर रखकर उसे छुपा लिया की यह छेद होने से बच जाएगा, लेकिन सभी पत्तों को छेदता हुआ वह तीर कृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया। तब बर्बरीक ने कहा कि प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा है कृपया पैर हटा लीजिए, क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को छेदने की नहीं।

उसके इस चमत्कार को देखकर कृष्ण चिंतित हो गए। भगवान श्रीकृष्ण यह बात जानते थे कि बर्बरीक प्रतिज्ञावश हारने वाले का साथ देगा। यदि कौरव हारते हुए नजर आए तो फिर पांडवों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा और यदि जब पांडव बर्बरीक के सामने हारते नजर आए तो फिर वह पांडवों का साथ देगा। इस तरह वह दोनों ओर की सेना को एक ही तीर से खत्म कर देगा।

तब भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण का भेष बनाकर सुबह बर्बरीक के शिविर के द्वार पर पहुंच गए और दान मांगने लगे। बर्बरीक ने कहा- मांगो ब्राह्मण! क्या चाहिए? ब्राह्मणरूपी कृष्ण ने कहा कि तुम दे न सकोगे। लेकिन बर्बरीक कृष्ण के जाल में फंस गए और कृष्ण ने उससे उसका शीश मांग लिया।

बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ शीशदान कर दिया गया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया। आज बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है। जहां कृष्ण ने उसका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है।

श्याम भक्ति का संदेश

श्याम भक्ति सिखाती है —
“जिसने अपने अहंकार का सिर काटा, वही सच्चा भक्त कहलाया।”
खाटू श्याम जी का दरबार उन सभी के लिए खुला है जो प्रेम, विश्वास और समर्पण के साथ आते हैं।
यह ब्लॉग उसी भक्ति भाव को शब्दों में पिरोने का प्रयास है।

प्रेरणादायक श्याम विचार

  1. “श्याम नाम की महिमा अपरंपार है, जो जपे उसका उद्धार है।”

  2. “भक्ति वही सच्ची है, जहाँ श्याम बसते हैं।”

  3. “हर दर्द का इलाज है – एक बार ‘जय श्री श्याम’ कहना।”

  4. “खाटू के श्याम से जो जुड़ गया, उसे कभी कमी नहीं रही।”

  5. “श्याम तेरे नाम में ही सारी दुनिया का सुख समाया है।”

  6. “जिसे श्याम मिल जाए, उसे और क्या चाहिए इस संसार में।”

  7. “श्याम की माया अनोखी है, जो समझे वो मुक्त हो जाए।”

  8. “भक्त और भगवान के बीच केवल विश्वास की डोर होती है।”

  9. “खाटू वाले श्याम की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है।”

  10. “हर सुबह की शुरुआत ‘जय श्री श्याम’ से करें, दिन मंगलमय हो जाएगा।”

खाटू धाम का अनुभव

खाटू श्याम जी मंदिर का वातावरण भक्ति और ऊर्जा से भरा रहता है।
मंदिर में “श्याम बाबा की आरती” और “भजन संध्या” भक्तों के हृदय को आनंद से भर देती है।
प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मेला में लाखों भक्त आते हैं और बाबा के दर्शन कर जीवन धन्य करते हैं।

अंतिम संदेश

“जो श्याम को सच्चे मन से पुकारता है,
उसकी झोली खाली नहीं रहती।”
जय श्री श्याम 🙏